प्राचार्य की कलम से - डॉ ऊषा किरण अग्रवाल

पूर्णकालिक प्राचार्य के रूप में यह मेरी द्वितीय पदस्थापना है।इसके पूर्व में एक वर्ष तक इंचार्ज प्राचार्य के रूप में कार्य करने का अनुभव रहा है। महाविद्यालय को उत्तरोत्तर प्रगति की ओर अग्रसर होते देखना मेरा एक मात्र उद्देश्य है। यहां के विद्यार्थी अध्ययन के अतिरिक्त भी अपने व्यक्तित्व का विकास करे तथा वर्तमान समय की चुनौतियां का सामना करने हेतु तैयार रहे , इसके लिए एक सामूहिक प्रयास का आवाहन करना जरूरी समझती हूं। महाविद्यालय के विद्यार्थियो एवं शिक्षक साथियों की संवित शक्ति से हम उक्त लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होंगे इसका मुझे पूर्ण विश्वास है। निज गुन श्रवन सुनत सकुचाहीं। पर गुन सुनत अधिक हरषाहीं॥ सम सीतल नहिं त्यागहिं नीती। सरल सुभाउ सबहि सन प्रीति॥1॥
भावार्थ
कानों से अपने गुण सुनने में सकुचाते हैं, दूसरों के गुण सुनने से विशेष हर्षित होते हैं। सम और शीतल हैं, न्याय का कभी त्याग नहीं करते। सरल स्वभाव होते हैं और सभी से प्रेम रखते हैं॥1॥
इस अद्भुत संदेश में एक नेतृत्व के लिए वह सिद्धांत तय किया गया है जो सबको साथ लेकर चलने के लिए प्रेरित करता है।
आइए हम सब एक साथ एक भारत श्रेष्ठ भारत के भारत के आव्हान में अपने हिस्से का छोटा सा कार्य संपन्न करते हुए महाविद्यालय को प्रगति पथ पर अग्रसर करे।
॥1॥