प्राचार्य की कलम से - प्रोफेसर जे. के. वर्मा
छ.ग. के दुर्ग जिले के धमधा विकासखण्ड के चन्दुलाल चन्द्राकर शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में आपका स्वागत है। 16 अगस्त 1989 से स्थापित यह महाविद्यालय अपनी उच्च शिक्षा की यात्रा बी.ए. , बी.कॉम , संकाय से प्रारंभ किया था । सत्र 1997-98 से एम.ए. राजनीति विज्ञान एवं सत्र 2000 से बी.एस.सी. ,एम.ए. अर्थशास्त्र, एम.कॉम , समाजशास्त्र एवं सत्र 2021 से हिन्दीसहित्य, विज्ञान संकाय में स्नातकोत्तर स्तर पर एम. एस. सी. वनस्पति शास्त्र एवं रसायन शास्त्र की कक्षाऍ भी इस संस्था की मुख्य आकर्षण में सम्मिलित हो चुकी हैं। सत्र 2021 से कला संकाय भूगोल में बी. ए. प्रथम वर्ष की कक्षाएं प्रारम्भ की गई । 1989-90 में 24 प्रवेशार्थियों से प्रारंभ इस महाविद्यालय में सत्र 2018-19 में 1500 विद्यार्थियों का प्रवेश हो चुका हैं।वर्तमान समय में महाविद्यालय में 17 कक्षाओं में अध्यापन कार्य अवाधित रुप से चल रहा हैं । इस महाविद्यालय में 10 सहायक प्राध्यापक पदस्थ हैं जिसमें से 09 ने पी.एचडी. उपाधि प्राप्त कर ली है।
अध्यापकीय वर्ग शोध कार्य में सदैव संलग्न रहता हैं। अन्तर्राष्ट्रीय , राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय संगोष्ठियों , कार्यशालाओं में सहायक प्राध्यापको द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं। शोध पत्रिकाओं में भी महाविद्यालय के शोधपत्र प्रकाशित होते रहते हैं। इस महाविद्यालय में वाणिज्य संकाय में शोध केंद्र की मान्यता भी सत्र 2021 से प्राप्त हो चुकी है। वर्तमान समय में महाविद्यालय में 17 कक्षाओं में अध्यापन कार्य अवाधित रुप से चल रहा हैं । इस महाविद्यालय में 01 प्राध्यापक, 12 सहायक प्राध्यापक पदस्थ हैं जिसमें से 10 ने पी.एचडी. उपाधि प्राप्त कर ली है।
प्रोफेसर जे. के. वर्मा तथा डॉ.जी.डी.एस.बग्गा,विभागाध्यक्ष वाणिज्य पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा पंजीकृत शोध निर्देषक हैं। इस महाविद्यालय में जनभागीदारी से नियुक्त क्रीड़ाधिकारी द्वारा खेल गतिविधियॉ संपन्न कराई जाती हैं। युवा उत्सव के माध्यम से महाविद्यालय की सांस्कृतिक एवं साहित्यिक प्रतिभाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलता हैं।
यह महाविद्यालय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की 2(एफ) एवं 12(बी) के तहत मान्यता प्राप्त हैं। महाविद्यालय में नेक मूल्याकंन सत्र 2017 में हो चुका है। हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग (छ.ग.) की प्रावीण्य सूची में महाविद्यालय के विद्यार्थियों का स्थान रहता हैं। 16 अगस्त 1989 से स्थापित इस महाविद्यालय द्वारा सत्र 2013-14 में रजत जयंती वर्ष मनाया गया है। जनभागीदारी समिति द्वारा सत्र 2013-14 से प्रावीण्य सूची में या प्रथम श्रेणी में आने वालांे को पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र देने का निर्णय लिया गया हैं।
1989-90 से प्राथमिक शाला में प्रारंभ किए गए इस महाविद्यालय को 1996 से सांसद निधि से 09 कमरो का भवन प्राप्त हुआ था । महाविद्यालय के 25 वे वर्ष में छ.ग. शासन द्वारा 02 करोड़ 13 लाख के भवन की अनुपम सौगात दी गई हैं। सत्र 2020 में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रुसा) परियोजना कार्यालय रायपुर के द्वारा दो करोड़ की राशि नवीन निर्माण, रेनोवेशन एवं नवीन सुविधाओं के क्रय के लिए प्राप्त हुए है। इन सुविधाओं से इस क्षेत्र में उच्च शिक्षा का अलख प्रज्जवलित करने में सहायता प्राप्त होगी ।